भारतीय-संविधान:-भारतीय में संवैधानिक विकास का प्रथम चरण भाग-2

भारतीय-संविधान:-भारतीय में संवैधानिक विकास का प्रथम चरण भाग-2

                  1833 का चार्टर अधिनिय

भारत के केंद्र क्रम की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम रखा था ,
इसके तहत बंगाल के गवर्नर जनरल को पूरे भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया ,
गवर्नर जनरल को सभी नागरिक तथा सैन्य और विधायी शक्तियां प्रदान की गई, 
भारत के प्रथम गवर्नर जनरल विलियम बेटीक बने, बंबई और मद्रास की सरकार की विधियां शक्तियां समाप्त कर दी गई ,
कंपनी के व्यापारिक अधिकार समाप्त कर दिए गए और उसे केवल राजनीतिक अधिकार प्रदान किए गए,
किस अधिनियम में विधि सदस्य को गवर्नर जनरल की परिषद में शामिल किया गया,
लॉर्ड मैकाले प्रथम विधि सदस्य के रूप में नियुक्त हुआ!

                       1853 का चार्टर अधिनियम

इस में पहली बार गवर्नर जनरल की परिषद के विधाई और प्रशासनिक कार्यों को अलग कर दिया गया ,
जनरल के लिए नई विधान परिषद का गठन किया जिससे भारतीय केंद्रीय विधान परिषद कहा गया ,
सिविल सेवकों की भर्ती एवं चयन हेतु खुली प्रतियोगिता की व्यवस्था की गई ,
विशिष्ट सिविल सेवा भारतीय नागरिकों के लिए खोल दी गई ,
1854 मैं भारतीय सिविल सेवा के संबंध में मैकाले समिति नियुक्ति गई
इसने कंपनी के  शासन को और बढ़ा दिया

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