भारतीय-संविधान:-भारतीय में संवैधानिक विकास का प्रथम चरण

     किसी भी लोकतान्त्रिक  एवम् प्रभुत्वसम्पन राष्ट्र की कल्पना बिना सविधान के नही की जा सकती  हैं !सविधान लिखित व् अलिखित नियमो व् अनियमो का निकाय है ,जिसके द्वारा राज्य व् सरकर के सगठन एवं कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं! 


          भारतीय सविंधान में मुख्यतः सरकार के तीनों अंगों वयवस्थापालिका ,न्यायपालिका, कार्यपालिका के संगठन व् कार्यो के साथ साथ प्रमुख पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल,मुख्यमंत्री आदि)केंद्र राज्य सम्बन्ध, मोलिकाधिकारों ,निति निदेशक तत्वों तथा मूल कर्तव्यों के बारे में जानकारी मिलती है, 
किसी भी देश के सविधान की रचना मात्र एक दिन मे नहीं होती, सविधान दीर्घकालीन विकास का परिणाम होता है,भारतीय संविधान की शूरूआत  1773 के रेगुलेटिंग एक्ट से हुई | 

भारतीय में संवैधानिक विकास :- 
✓ 1757 ई की लड़ाई और 1764 के बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर बिर्टिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन का शिकंजा कसा ! 
इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजो ने समय समय पर कई एक्ट पारित किए जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां बनी जो निम्न प्रकार है:- 
1765 में रेग्यूलेटिंग एक्ट से  भारत में सवैधानिक विकास की प्रक्रिया आरंभ हुई

 ✓ यह एक्ट 21 जून 1773 को लागू किया गया

 उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ थे, उन्होंने  ही इसे स्वीकार किया, 

 इस अधिनियम के तहत ही भारत में केंद्रीय प्रशासन के नियम रखी  गई, 

 इस अधिनियम में ही बंगाल के गवर्नर को गवर्नर जनरल का पदनाम दिया गया; 

 बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्स  थे; 
1774 विधि इस अधिनियम के तहत ही कोलकाता मैं उच्चतम् न्यायालय की स्थापना की गई;
 इसके तहत कंपनी कर्मचारियों को निजी व्यापार करने और भारतीयों से उपहार वह रिश्वत लेना  प्रतिबंधित कर दिया गया; 
 इससे भारतीय प्रांतों के एकीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई! 
             1784 का पिट्स इंडिया एक्ट 
रेगुलेटिंग एक्ट 1770 के दोष को दूर करने हेतु इंग्लैंड की संसद ने 1781 में एक संशोधन एक पारित किया जिसे एक्ट ऑफ सेटलमेंट के नाम से जाना जाता है,

इसके बाद पिट्स इंडिया एक्ट पारित किया गया ! 

1784 में पिट्स इंडिया एक्ट पारित किया गया! 
1784 में भारत के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स थे, 
उसका नाम उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पीठ के नाम पर रखा गया था ! 
इसमें भारत से संबंधित मामलों पर नियंत्रण ब्रिटिश सरकार का लाया गया 
कंपनियों पर नियंत्रण के लिए बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल की स्थापना की गई; 

 ✓बोर्ड ऑफ कंट्रोल भारत के सभी नागरिकों केंद्र सरकार और सैन्य गतिविधियों पर नियंत्रण वह निगरानी रखती हैं! 
 इसमें कंपनी के राजनीतिक और व्यापारिक कार्यों को पृथक पृथक कर दिया ! 
इस अधिनियम से सरकार को कंपनी के कार्यकलापों पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान कर दिया गया 
1793 में बंगाल में भू राजस्व स्थाई बंदोबस्त प्रणाली आरंभ की! 

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