भारतीय-संविधान:-संविधान विकास का तृतीय चरण भाग-2

1935 का भारतीय शासन अधिनियम


 ✓1 अप्रैल 1935 को यह अधिनियम पारित हुआ

इसमें पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना प्रावधान था
✓ इसमें कुल 321 तथा 10 अनुसूचियां थी
✓ प्रांतों में द्वैध शासन का अंत कर उसे केंद्र में लागू कर दिया गया
 ✓केंद्रीय विषयों कोआरक्षित और हस्तांतरित हस्तांतरित विषयों में बाँट दिया गया

✓  केंद्रीय प्रांतीय विषयों को तीन सूचियों में विभाजन किया गया संघ सुची -59;प्रान्त-सुची- 56;समवर्ती-सूची-36; तथा अवशिष्ट विषय वायसराय को प्रदान कर दिए गए!
✓  अधिनियम के आधार पर भारतीय संविधान का मूल ढांचा तैयार किया गया !
✓   ब्रिटिश संसद की सर्वोच्चता को स्वीकार किया गया
✓  भारत परिषद का अंत कर दिया गया
  ✓सांप्रदायिक निर्वाचन पद्धति का विस्तार कर दिया गया जिसमें ईसाई यूरोपियन हरिजनों को आरक्षण दिया गया

✓  इस अधिनियम में प्रस्तावना का अभाव था
✓ आर.बी.आई. और संघीय रेलवे प्राधिकरण की स्थापना की गई
✓ 1937 में संघीय न्यायालय दिल्ली में स्थापित किया गया
 ✓इसमें संघीय व्यवस्थापिका के दो सदनों की व्यवस्था की गई जिसमें एक सदन राज्य परिषद तथा दूसरा सदन संघीय विधानसभा कहा गया

 ✓ पंडित नेहरू ने इसमें "दास्ता के घोषणा पत्र "की संज्ञा दी!

✓ इंग्लैंड के प्रधानमंत्री एटली ने इसे  "अविश्वास का प्रतीक "कहा हैं!
✓ प्रो.कूपलैंड मेघ 1935 के अधिनियम की "रचनात्मक राजनीतिक विचार " की महान सफलता बताया !
✓ वर्तमान राज्यपाल का पद किस अधिनियम के गवर्नर के पद से प्रेरित हैं!
 ✓इसे वर्तमान भारतीय संविधान को वैधानिक प्रलेख कहा गया हैं ,

 ✓लॉर्ड विलिंगटन के कार्यकाल में पास हुआ तथा लॉर्ड लिन लिथगो के समय लागू हुआ,

 ✓U.S.S.R मैं कुल 123 बार वीटो का प्रयोग किया जबकि U.S.A नें 81 बार !





1947का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 

                ब्रिटिश संसद में 4 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम प्रस्तावित किया गया ,जो 18 जुलाई 1947 को स्वीकृत हो गया इस अधिनियम में 20 धाराएँ थी ,

√√ इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्न हैं:-

1. दो राज्यों की स्थापना :-15 अगस्त 1947 को भारत व पाकिस्तान दो अधिराज्य बना दिए जाएंगे !

2. संविधान सभा का विधान मंडल के रूप में कार्य करना !

3. भारत और पाकिस्तान दोनों अधिराज्यों में एक-एक गवर्नर जनरल होंगे ,

4. भारत मंत्री पद समाप्त कर दिए जाएंगे,

5. देशी  रियासतों पर ब्रिटेन की सर्वोपरिता का अंत कर दिया गया ,

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